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सफलता के असल मायने

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आज का सवाल; सफलता कैसे पाई जा सकती है? "सफलता" की दौड़ में जाने से पहले, जनाब! जान लेना बेहतर होगा के यह किस चिड़िया का नाम है कामयाबी किसी पन्ने को बेहतर ढंग से सजा देने मात्र से नहीं मिलती और ऐसा भी नहीं है के एक पन्ना आपकी किस्मत नहीं बदल सकता । किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं और दोनों को जान लेना फिर कदम बढ़ाना, हमारी समझ को मंजिल के करीब ले जाता है।। किसी रिश्ते में सफलता के लिए चाहिए "प्रेम" दिखावा और सहनशक्ति ; फिर भविष्य बेहतर बनाने के लिए चाहिए होते हैं अपनी निपुणता से बनाए गए वही "रिश्ते" । कुल मिलाकर कहा जाए तो छलावा गलत नहीं होगा गर कायदे से किया जाए; जैसे पानी जूठा नहीं होता गर ऊपर से पिया जाए, खाना जूठा नहीं होता गर चम्मच से खाया जाए, बातें झूठी नहीं होती गर फोन पर की जाए और गलत गलत नहीं होता गर कुर्सी सही जगह की मिली हो । तो दोस्त! इत्मीनान से पढ़ो, किरदार क्या क्या काम आयेंगे । फिर कहो खुद को के सबसे मिलेंगे, सबको आजमाएंगे ।। और ध्यान रहे; सीधे रस्ते कभी कामयाबी नहीं, मौत नसीब होती है। जनाब! जीने के लिए, उथल पुथल बहुत जरूरी होती है।। ~ शिवम् "शब्दांश"

विश्वाश vs अंधविश्वास

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आज का सवाल; अंधविश्वास को कैसे देखा जाए ? जनाब! ऐसे देखा जाए जैसे आप दिन पर करते हो, रात पर करते हो, 24 घंटे पर करते हो, 7 दिन पर करते हो, महीने पर करते हो, साल पर करते हो, एक ही काल चक्र को सभी मानते हो; ये अंधविश्वास नहीं तो क्या है? या ऐसे देखा जाए, जैसे मां बाप को मां बाप मानते हो, भाई बहन को भाई बहन मानते हो, पत्नी को अपनी मानते हो, बच्चे को खुद का कहते हो, सभी यही मानते हो; ये अंधविश्वास नहीं तो क्या है? तुम किस चौराहे पर खड़े, द्वंद को अपनी परिपाटी में सजाए, धारा की रीत विपरीत बहे जा रहे हो, चाहकर भी वक्त नहीं रुक रहा है कहने वाले कहते कहते चले गए के वक्त ठहरेगा नहीं, ठहरेगा तभी जब तुम ठहर जाओगे, लेकिन उसे ठहरा हुआ कभी देख नहीं पाओगे फिर तुम मान जाते हो वक्त कभी ठहरता नहीं ; ये अंधविश्वास नहीं तो क्या है? अब सुनो! मेरा नजरिया; सुकून मिले जहां उसे अपना कहा जाए, आनंद मिले जहां वहां भाईचारा निभाया जाए, सुख मिले जहां पत्नी कहिए उसे, प्रेम मिले जहां मां बाप होगे वो, सम्मान मिले जिनसे बच्चे कहिए उन्हें, वक्त मिले जहां दोस्त! होगे वो, सबसे परे जहां मन द्वंद से हटकर शांत हो जाए, आप शून्य पर आ जाओ "मानो वो भगवान है" अब आप इंसान हो ।। अब आप ही आरंभ, आप ही अंत हो । जनाब! ठीक से देखो, असीम ताकत है आपमें, आप ही अनंत हो ।। ~ शिवम् "शब्दांश"

स्वाभिमान या झुकाव? क्या बेहतर होगा?

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आज का सवाल; किसी के सामने झुकना बेहतर है या स्वाभिमान बचाना? दोनों का सामंजस्य बनकर चलना बेहतर होगा, जीत हार अपनी जगह है वो वहीं तक सीमित रहें जहां खेल खेला जा रहा हो, आप जितनी लचक बनाकर रख सकते हों रहिए, आप जितना झुक सकते हैं झुककर रहिए, अदब में रहिए, मर्यादित रहिए । मगर ध्यान रहे, झुकना वहीं तक बेहतर होता हैं जहां तक कमर न टूटे, जब बात कमर टूटने पर आ जाए तो वही कमर फिर कस लेनी चाहिए ; और धोभी पछाड़ तो सुना ही होगा - पहले तो जहां तक चल सके तो झुककर संस्कार दिखाइए फिर जब काम न बने पानी सिर से ऊपर जाए तो धोभी पछाड़ जवाब दीजिए, जिससे सामने वाला भी याद रखे के स्वाभिमान में आंच देना क्या होता है। पेट्रोल, आपके सफ़र को तय करने में आपकी कितनी मदद करता है लेकिन जब उसे आग में डाला जाता है तब? अब कोई आपके जीवन को आग में झोंकने का काम करें तो फिर आप भी आग हो जाएं । मेरे व्यक्तिगत अनुभव यही सलाह देते हैं। कोई भी कदम अपनी समझदारी से उठाएं ।। *~ शिवम् "शब्दांश"*

क्या प्रतिस्पर्धा ग़लत है?

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आज का सवाल; क्या प्रतिस्पर्धा ग़लत है? जी नहीं! प्रतिस्पर्धी होना कोई गलत बात नहीं है, आपको एक दूसरे से बढ़ चढकर मुकाबला करना चाहिए, जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी चाहिए, परन्तु खेल के मैदान के बाहर आने के बाद आपके मन में कोई द्वेष नहीं होना चाहिए । आप जीत जाते हैं तो सामने वाले को महसूस कराएं के यह सिर्फ खेल है मैदान के बाहर हम एक हैं हम सिर्फ खिलाड़ी हैं, अगर हारते हैं तो जीतने वाले को बधाई दें उनकी खुशियों का हिस्सा दें और अगली मुलाकात के लिए मजाकिया अंदाज़ में आगाह करें । अगर आप किसी अन्य कोशिश में प्रतिस्पर्धी हैं तो भी यही नियम लागू होता है, खासकर ख्याल ये रखना है आप हारे नहीं है सीखे हैं, अगली बार के लिए मजबूत हुए हैं। इसके इतर ध्यान रखें, जीवन सभी का अनमोल है और इसे भलीभांति भोगकर व्यतीत करना है, इधर उधर की चीज़ों में महज़, उलझे न रहें, न ही इधर उधर के ख्याल पालकर, सुकून की तलाश में रहें अपितु जहां शांत रह सके, रहिए और वहीं सुकूं महसूस करिए । अपने आपको ज़ीरो की स्थिति में राजा महसूस करना ही आपके जीवन की असल जीत होगी ।। ~ शिवम् "शब्दांश"

क्या चाटुकारिता जीवन में काम आती है?

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आज का सवाल; क्या चाटुकारिता काम आती है? जी हां! बिल्कुल काम आती है इसका मुख्य कारण है लोगों को अकारण अपनी तारीफ सुनना पसंद होता है और सच्चाई से कतराते हैं कोषों दूर भागते हैं, यही कारण है के चाटुकार सफल हैं और ईमानदार "मुंहफट" सिस्टम में उलझाकर चाटुकारिता में दक्ष किए जा रहे हैं। जिस कुनबे में रहोगे, तालियां उसी के लिए उसी के हिसाब से बजानी पड़ेगी, तुम्हारे मन गैर मन से कोई फर्क नहीं पड़ता । तुम क्या हो तुम पहले खुद को बताओ, फिर देखो समाज के ढर्रे को, थोड़ा आड़ा टेढ़ा चलकर मंजिल को पाओ । ~ शिवम् शब्दांश

सुबह जल्दी उठने की आदत डालें ~ शिवम्

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सुबह जल्दी उठने की आदत डालें #0२:३०अप० से ०३:३०अप० तक दिनचर्या ; 👇🏻👇🏻 (१) धरती मां का स्पर्श, ईश वंदन । (२) नित्य क्रिया, स्नान आदि । (३) तुलसी पूजा तत्पश्चात २०० मिलीग्राम जल में तुलसी पत्ती, सेंधा नमक २ चुटकी या शहद, लौंग २, पुदीना या नींबू की कुछ बूंदें मिलाकर पिएं । (४) ध्यान साधना ; ३० मिनट - ॐ उच्चारण के साथ । (५) हरी घास पर टहलना ; १० मिनट । (६) योगाभ्यास ; ३० मिनट । (७) सुबह ६ बजे तक हर हाल में - हरी सब्जियां, अनाज और फलों का नाश्ता कर लें, साथ में नारियल पानी ले लें तो और बेहतर होगा। (८) सुबह ११ बजे से पूर्व पेट भर भोजन ले लें, संध्या भोजन का त्याग करें, भूख लगने पर दही, जूस, खीरा, टमाटर इत्यादि चीजों का सेवन करें । (९) शाम ७ बजे से ८ बजे तक हर हाल में सो जाएं (१०) एक महीना करके देखें, परिणाम आपके सामने होंगे । आधार ; आपकी ९० प्रतिशत बीमारियां गायब हो जाएंगी । आपके शरीर में अलग ही ऊर्जा का संचार होने लगेगा । आपका दिमाग बाकी लोगों के मुकाबले कई गुना अधिक सक्रिय हो जाएगा । आपके काम करने के तरीके में तमाम बदलाव देखने को मिलेंगे और आप पहले की अपेक्षा ज्यादा काम कर सकेंगे । नोट ;अगर आप लगातार इस प्रक्रिया को अपने जीवन में शामिल करते हैं तो मेरा दावा है कि आप अपनी उम्र से १० साल और अधिक जीने वाले हो । ~ शिवम् - शब्दांश "हिंदी"

Sir Ratan Tata जब रतन टाटा ने सीखा कि असफलता भी सफलता का एक हिस्सा है

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रतन टाटा, टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, ने अपने करियर में कई बड़े फैसले लिए, लेकिन सभी सफल नहीं रहे। एक बड़ा झटका उन्हें तब लगा जब उन्होंने 1998 में टाटा इंडिका कार लॉन्च की। यह कार बाजार में उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हुई, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ। रतन टाटा ने इस असफलता से सीख ली और 2008 में एक किफायती कार "टाटा नैनो" लॉन्च की। हालांकि यह भी एक बड़ी व्यावसायिक सफलता नहीं बन पाई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया और कई कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें Jaguar-Land Rover (JLR) और Corus Steel शामिल हैं। रतन टाटा की कहानी हमें सिखाती है कि असफलता को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए। अगर एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुलने का इंतजार करता है। धैर्य और नई सोच के साथ, किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी सीख यही है—"सफलता का सबसे अच्छा तरीका है, दोबारा कोशिश करना।"

असफलता से मिली सीख: जैक मा की ज़िंदगी का सबसे बड़ा सबक

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जैक मा, अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक, का जीवन संघर्षों से भरा रहा। चीन के एक छोटे शहर में जन्मे जैक मा को बचपन से ही कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने 30 से अधिक नौकरियों के लिए आवेदन किया लेकिन हर जगह अस्वीकार कर दिए गए, यहाँ तक कि KFC में भी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 10 बार रिजेक्ट किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इंटरनेट और ई-कॉमर्स की संभावनाओं को समझते हुए, 1999 में उन्होंने अलीबाबा की शुरुआत की। पहले कुछ वर्षों में कंपनी को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन जैक मा के धैर्य और दूरदर्शिता ने इसे दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक बना दिया। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि एक सीखने का अवसर है। यदि हम धैर्य और विश्वास बनाए रखें, तो कठिनाइयों को पार करके सफलता हासिल कर सकते हैं। जैक मा का जीवन हमें यह सबक देता है कि अस्वीकृति और असफलता को हमें अपने सपनों को छोड़ने का कारण नहीं बनाना चाहिए, बल्कि इसे एक प्रेरणा बनाना चाहिए।